Submitted by Shanidham on 22 Oct, 2019
इस बार धनतेरस पर लग्नादि, चंद्र मंगल, सदा संचार और अष्टलक्ष्मी फलदायी शुभ संयोग बन रहा है। दो दिन खरीदारी का भी योग बना है। धनतेरस पर सूर्य कृत उभयचरी नामक महान शुभ फलदायक संयोग निर्मित हो रहा है। धनतेरस और दीपावली पर स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी, गणेश, मां सरस्वती और कुबेर की पूजा सुख समृद्धि का वरदान बनेगा।
स्थिर लग्न में पूजा शुरू करें
पांच दिवसीय दीप महोत्सव का शुभारंभ धनतेरस से होगा। 25 अक्टूबर को आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि ऋषि की पूजा होगी। वाराणसी एवं मिथिला पंचांग के अनुसार दीपावली और धनतेरस में पूजा स्थिर लग्न में आरंभ करें। फिर, अपनी सुविधानुसार जब तक इच्छा हो, पूजा करें।
25 अक्टूबर शाम 4.42 बजे से 26 की दोपहर 2.29 बजे तक मुहूर्त
27 अक्टूबर को दीपावली और काली पूजा, गोवर्धन पूजा 28 को होगी
पूजा का शुभ मुहूर्त लग्न में
वृष लग्न में शाम 6.50 बजे से रात 8.42 तक, सह लग्न में मध्य रात्रि 1.13 बजे से 3.29 बजे तक, तुला वाले सुबह 5.44 से आठ बजे तक, वृश्चिक में सुबह 8 से 10.15 बजे तक, कुंभ लग्न में दोपहर 2.10 बजे से 3.40 बजे तक पूजा का मुहूर्त है।
प्रदोषकालीन में पूजा शुभ
सनातन परंपरा के अनुसार सूर्यास्त के तुरंत बाद प्रदोषकालीन समय में भी लक्ष्मी, गणेश की पूजा शुभ मानी गई है। लग्न नहीं पता हो तो सूर्यास्त के आधा घंटा बाद पूजा करनी चाहिए। दीपावली और काली पूजा 27 अक्टूबर को है। काली पूजा मध्य रात्रि में करें। काली पूजा रात 10.30 बजे शुरू करें। रात 11.40 बजे प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूजा और आरती करें।