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अन्नदान महादान

Submitted by Shanidham on 06 Oct, 2019

दान का महत्व : दान एक ऐसा कार्य है, जिसके जरिए हम न केवल धर्म का ठीक-ठीक पालन कर पाते हैं बल्कि अपने जीवन की तमाम समस्याओं से भी निकल सकते हैं। आयु, रक्षा और सेहत के लिए तो दान को अचूक माना जाता है। जीवन की तमाम समस्याओं से निजात पाने के लिए भी दान का विशेष महत्व है। दान करने से ग्रहों की पीड़ा से भी मुक्ति पाना आसान हो जाता है। अलग-अलग वस्तुओं के दान से अलग-अलग समस्याएं दूर होती हैं। वेदों में भी लिखा है कि सैकड़ों हाथों से कमाना चाहिए और हजार हाथों वाला होकर दान करना चाहिए। जिस इंसान को दान करने में आनंद मिलता है, उसे ईश्वर की असीम कृपा प्राप्त होती है, क्योंकि देना इंसान को श्रेष्ठ और सत्कर्मी बनाता है।
अन्नदान का बड़ा महत्व : धर्म चाहे कोई भी हो लेकिन अक्सर आपने देखा होगा कि जब भी लोग कोई धार्मिक कार्य संपन्न करवाते हैं तो उसकी समाप्ति वाले दिन भंडारा या लंगर अवश्य करवाते हैं। इतना ही नहीं बहुत से धार्मिक स्थल ऐसे भी हैं जहां निरंतर भंडारा किया जाता है। प्राचीन काल से ही राजा-महाराजा जब भी कोई हवन, यज्ञ या फिर कोई अन्य धार्मिक कार्यक्रम करवाते थे तब वस्त्र या भोजन वितरण अवश्य करते थे। भंडारे के दौरान लोग अपनी श्रद्धा या अपनी हैसियत अनुसार भोजन वितरण करते हैं। भंडारा करवाने का मुख्य उद्देश्य जरूरतमंदों को भोजन करवाने से लिया जाता है, लेकिन शास्त्रों में इस भंडारे का एक और महत्व भी दर्ज है। हमारे शास्त्रों के अनुसार दुनिया का सबसे बड़ा दान अगर कुछ है तो वह है अन्नदान। यह संसार अन्न से ही बना है और अन्न की सहायता से ही इसकी रचनाओं का पालन हो रहा है। अन्न एकमात्र ऐसी वस्तु है जिससे शरीर के साथ-साथ आत्मा भी तृप्त होती है।
पद्मपुराण में इससे संबंधित एक कथा भी मिलती है। एक बार सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी और विदर्भ के राजा श्वेत के बीच संवाद हो रहा होता है। इस संवाद से यह पता चलता है कि व्यक्ति अपनी जीवित अवस्था में जिस भी वस्तु का दान करता है, मृत्यु के बाद वही चीज उसे परलोक में प्राप्त होती है। राजा श्वेत अपनी कठोर तपस्या के बल पर ब्रह्मलोक तो पहुंच जाते हैं लेकिन अपने जीवनकाल में कभी भोजन का दान ना करने के कारण उन्हें वहां भोजन प्राप्त नहीं होता। एक अन्य कथा भी हमारे पुराणों में दर्ज है। जिसके अनुसार एक बार भगवान शिव ब्राह्मण रूप धारण कर पृथ्वी पर विचरण कर रहे थे। उन्होंने एक वृद्ध विधवा स्त्री के दान मांगा लेकिन उसने कहा कि वह अभी दान नहीं दे सकती क्योंकि वह अभी उपले बना रही है। जब उस ब्राह्मण ने हठ किया तो उस स्त्री ने गोबर उठाकर ब्राह्मण को दान में दे दिया। जब वह स्त्री परलोक पहुंची तो भोजन मांगने पर उसे खाने के लिए गोबर ही मिला। जब उसने पूछा कि गोबर क्यों दिया गया है तो जवाब में उसे यही सुनना पड़ा कि उसने भी यही दान में दिया था।
अन्नदान को क्यों माना जाता है उत्तमदान : शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि विश्व का सबसे बड़ा दान अन्नदान है। दान ऐसी चीज है जो कभी धर्म नहीं देखती है। साथ ही ये भी कि दान देने वाला व्यक्ति कौन है। शास्त्रों में कहा गया है कि दान देना महादान होता है। जो व्यक्ति दान देता है। उसके घर कभी कोई परेशानी नहीं आती है। साथ ही देवी-देवता की कृपा उनपर हमेशा बनी रहती है। ग्रंथो के अनुसार माना जाता है कि जो व्यक्ति दान देता है। उससे बड़ा कोई दूसरा व्यक्ति नहीं हो सकता है। लेकिन हमारे दिमाग में ये बात जरुर आती है कि आखिर किस चीज का दान दिया जाए। जो हमारे लिए सबसे अच्छी हो। जिसको दान करने से फल ज्यादा अच्छा मिला।  साथ ही माना जाता है कि मृत्यु के बाद आपको दान के अनुसार ही खाने को मिलता है। पुराने जमाने में भी राजा-महाराजा जब भी कोई धार्मिक काम या यज्ञ करते थे तो वे जरुरतमंदों या फिर गरीब को दान दिया करते थे। कई लोग भंडारा भी कराते है। इसको लेकर माना जाता है कि अगर आप किसी जरुरतमंद का पेट भरोगे तो तृप्त होकर वह आपको दुआए देगा।
इन्द्रदेव व अन्य देवता भी करते थे अन्न की उपासना : हिन्दू धर्म के सभी शास्त्रों में अनेक प्रकार के दान के बारे में बताया गया है, उसमें अन्नदान सबसे श्रेष्ठ है, क्योंकि संसार का मूल अन्न है, किसी के भी प्राण का मूल अन्न है। अन्न ही अमृत बनकर मुक्ति प्रदान करता है। अन्न के कारण ही सात धातुएं पैदा होती हैं, अन्न ही सम्पूर्ण जगत का उपकार करता है। स्वयं इन्द्रदेव के साथ अन्य देवता भी अन्न की उपासना करते थे। वेदों में अन्न को ब्रह्मा कहा गया है। सुख की कामना करते हुए ऋषियों ने पहले अन्न का ही दान किया था। अन्नदान से ही उन्हें तार्किक और पारलौकिक सुख मिला। शास्त्रों में कहा गया है कि जो कोई श्रद्धालु विधि-विधान से अन्न का दान करता है तो उसे पुण्य अथवा मोक्ष की प्राप्ति होती है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के असोला फतहपुर बेरी स्थित श्री शनिधाम ट्रस्ट की ओर से संचालित श्री तीर्थ क्षेत्र के मंदिर परिसर में समाजसेवी जगत पहलवान 27 अगस्त से लगातार अन्नदान कर गरीबों व जरुरतमंदों की सेवा का लाभ कमा रहे हैं। रोजाना सैंकड़ों की तादाद में शुरु होने वाली अन्नदान योजना के लाभार्थियों की संख्या अब हजारों तक पहुंच चुकी है।