Submitted by Shanidham on 03 Oct, 2019
ॐ कात्यायनी देव्यै नम:
पारिवारिक समस्याओं का होगा निवारण ग्रह कलह निवारण के लिए उपाय मां कात्यायनी माता का भोग दिलाएगा आपको पारिवारिक समस्याओं से निजातबी निजकर्त कर्मोँ की वजह से शुक्र ग्रह प्रतिकूलता निवारण के लिए
उपासना : नवरात्र का छठा दिन मां कात्यायनी की उपासना का दिन होता है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है व दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं। इनका ध्यान गोधुलि बेला में करना होता है। सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। मां जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ करें
परिचय व महिमा से अवगत कराएं।
नवरात्र के पावन समय में छठवें दिन अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष को प्रदान क रने वाली भगवती कात्यायनी की पूजा वंदना का विधान है। साधक , आराधक जन इस दिन मां का स्मरण क रते हुए अपने मन को आज्ञा चक्र में समाहित क रते हैं। योग साधना में आज्ञा चक्र का बड़ा महत्व होता है। मां की षष्ठम् शक्ति कात्यायनी नाम का रहस्य है। एक कत नाम के ऋषि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए इन्हीं कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन हुए उनके कठोर तपस्या के फलस्वरूप उनकी इच्छानुसार भगवती ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया।
भगवती कात्यायनी ने शुक्लपक्ष की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तक ऋषि कात्यायन की पूजा ग्रहण की और महिषासुर का वध किया था। इसी कारण छठी देवी का नाम कात्यायनी पड़ा। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत विशाल एवं दिव्य है। उनकी चार भुजाएं हैं। एक हाथ वर मुद्रा में, दूसरा हाथ अभय मुद्रा में, तीसरे हाथ में सुंदर क मल पुष्प और चौथे हाथ में खड्ग धारण कि ये हुए हैं। मां सिंह पर सवार हैं। जो मनुष्य मन, कर्म, व वचन से मां की उपासना करते हैं उन्हें मां धन-धान्य से परिपूर्ण एवं भयमुक्त करती हैं।
प्र०3 क्या भगवती की उपासना की कोई सरल शास्त्रोक्त विधि भी है जिसका लाभ सामान्य गृहस्थ भी उठा पाएं? कृपया, सबके लिए सुलभ अनुष्ठान व उपासना विधि बताने की कृपा करें।
साधना विधान - सबसे पहले मां कात्यायनी की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें। तदुपरांत चौकी पर मनोकामना गुटिका रखें। दीपक प्रज्जवलित रखें। तदुपरांत हाथ में लाल पुष्प लेकर मां का ध्यान करें।
इसके बाद मां को हाथ में लिए हुए पुष्प अर्पण करें तथा मां का षोडशोपचार से पूजन करें। नैवेद्य चढ़ाएं तथा 108 की संख्या में मंत्र जाप करें -
मंत्र - ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। मंत्र की समाप्ति पर मां की प्रार्थना तथा आरती करें।
ग्रह कलह निवारण उपाय
लकड़ी की चौकी बिछाएं। उसके ऊपर पीला वस्त्र बीछाएं। चौकी पर पांच अलग-अलग दोनो पर अलग-अलग मिठाई रखें। प्रत्येक दोनों में पांच लौंग, पांच इलायची और एक नींबू रखें। धूप-दीप, पष्प अक्षत अर्पित करने के उपरांत एक माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ कात्यायनी देव्यै नम: और एक माला शनि पत्नी नाम स्तुति की करें। तत्पश्चात यह समस्त सामग्री किसी पीपल के पेड़ के निचे चुपचाप रखकर आना चाहिए। बहुत जरूरी है ग्रह प्रवेश से पहले हाथ-पैर अवश्य धो लें। नवरात्रि छठा दिन: अत्यंत भव्य है मां कात्यायनी का स्वरूप, ऐसे करें उनकी आराधना,
नवरात्रि के छठे दिन होती है मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा। कहा जाता है कि अगर मां कात्यायनी की पूजा अविवाहित कन्याएं करती हैं तो उनके शादी के योग जल्दी बनते है।
परम्परागत रूप से देवी दुर्गा की तरह वे लाल रंग से जुड़ी हुई हैं। नवरात्र उत्सव के षष्ठी को उनकी पूजा की जाती है। उस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है। परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्तों को सहज भाव से मां के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त जिन कन्याओं के विवाह मे विलंब हो रहा हो, उन्हें इस दिन मां कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, जिससे उन्हें मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है।
पारिवारिक कष्ट निवारण या पति-पत्नी मन-मुटाव निवारण प्रयोग
अपने पूजा स्थान में ईशान कोण में एक चौकी लगाकर पीला कपड़ा बिछाएं। उस पर हल्दी और केसर मिला कर स्वास्तिक बनाएं। स्वास्तिक के ऊपर कलश स्थापित करें। कलश में जल भर कर थोड़ा सा गंगाजल डालें। 7 मुठी धनिया, 7 गांठ हल्दी और 7 बताशे डालें। पांच अशोक पेड़ के पत्तों को दबाकर कलश पर मिट्टी की प्लेट रखें। उसमें 7 मुठी गेहू और 7 मुठी मिट्टी मिला कर प्लेट में रखें। तत्पश्चात एक जटा वाला नारियल रखें उस पर 7 बार कलावा लपेट कर स्थान दें। नारियल पर केसर और हल्दी का तिलक करें। शुद्ध घी का दीपक जलाकर और रुद्राक्ष की माला पर पांच माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ कात्यायनी देव्यै नम: और पांच माला ॐ सर्व मंगलमांगल्यै शिवै सर्वाथ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तु ते। और माँ भगवती को प्रणाम करके उठ जाएं। और माँ भगवती को लगाए भोग को निर्जन व गरीब परिवार में बांट दें। माँ की आरती करें और कष्ट निवारण के लिए प्रार्थना करें। अगले दिन पुन: भोग व धूप-दीप अर्पित करें और पांच-पांच माला जाप करें। ऐसा नवमी तक करें। अंतिम दिन पांच कुंवारी कन्याओं को बुला कर भोजन कराएं। वस्त्र और दक्षिणा भेंट करें। नारियल फोड़ कर उस जल को पूरे घर में छिडक़ दें। गिरी को परिवार के सदस्यों में बांट दें। बाकी समस्त पूजन सामग्री कलश सहित जल में प्रवाह कर दें।
माँ कात्यायनी का भोग बदलेगा आपका भाग्य
इस दिन देवी के पूजन में मधु का महत्त्व बताया गया है। वह मधु ब्राह्मण अपने उपयोग में ले। इसके प्रभाव से साधक सुन्दर रूप प्राप्त करता है।
ग्रह पीड़ा निवारण
जिस जातक की जन्म कुंडली में निजकर्त कर्मों की वजह से शुक्र कमजोर हो या शुक्र की वजह से आपके जीवन मं कोई परेशानी आ रही हो तो माँ कात्यायनी माता का मंत्र ॐ कां कां कात्यायनी स्वाहा। का जाप करना बहुत ही शुभ रहेगा।