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Navratri 2019: नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कूष्मांडा देवी की आराधना, दूर होते हैं रोग-शोक

Submitted by Shanidham on 01 Oct, 2019

ॐ कूष्माण्डा देव्यै नम: आयु, यश, बल व ऐश्वर्य के साथ-साथ मां कूष्मांडा करेगी संपूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण मां कूष्मांडा का भोग दिलाएगा आपको संपूर्ण सफलता संपूर्ण मनोकामना पूर्ति के उपाय मां कूष्मांडा का भोग दिलाएगा आपको संपूर्ण सफलता निजकर्त कर्मोँ की वजह से बुध ग्रह पीड़ा निवारण के लिए परिचय व महिमा से अवगत कराएं। नवरात्र के चौथे दिन आयु, यश, बल व ऐश्वर्य को प्रदान करने वाली भगवती कूष्माण्डा की उपासना-आराधना का विधान है। इस दिन साधक  जन अपने मन को अनाहत चक्र  में स्थित करके मां कूष्मांडा की कृपा प्राप्त करते हैं। मां सृष्टि की आदि स्वरूपा तथा आदि शक्ति  हैं। मां के  इसी रूप ने अपने ईषत्हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसी कारण मां को कूष्मांडा कहा गया है। मां का निवास सूर्य मंडल के  भीतर के  लोक  में है। इन्हीं के  तेज और प्रकाश से दशों दिशाएं प्रकाशित हैं। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, चारों तरफ  अंधकार ही अंधकार था, तब भगवती कूष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की थी। इनकी आठ भुजाएं हैं। उनके सात भुजाओं में - कमण्डल, धनुष, बाण, कमल पुष्प कलश चक्र  एवं गदा शोभायमान हैं। आठवें हाथ में जप की माला है जो अष्टसिद्घि एवं नौ निधियों को देने वाली है। मां भगवती सिंह पर सवार हैं और इनको कुम्हड़ों  की बलि अत्यन्त प्रिय है। मां पूर्ण श्रद्घा एवं भक्ति  भाव से की गई साधना से तुरंत प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं तथा हर प्रकार से मंगल करती हैं। 
प्र०3 क्या भगवती की उपासना की कोई सरल शास्त्रोक्त विधि भी है जिसका लाभ सामान्य गृहस्थ भी उठा पाएं? कृपया, सबके लिए सुलभ अनुष्ठान व उपासना विधि बताने की कृपा करें। 
साधना विधान- सर्वप्रथम मां कूष्मांडा की मूर्ति अथवा तस्वीर को चौकी पर दुर्गा यंत्र के  साथ स्थापित करें। इस यंत्र के  नीच चौकी पर पीला वस्त्र बिछायें। अपने मनोरथ के  लिए मनोकामना गुटिका यंत्र के  साथ रखें। दीप प्रज्वलित करें तथा हाथ में पीलें पुष्प लेकर मां कूष्मांडा का ध्यान करें। 
ध्यान के  बाद हाथ के  पुष्प चौकी पर अर्पण करें तथा भगवती कूष्मांडा और यंत्र का पंचोपचार विधि से पूजन करें और पीले फल अथवा पीले मिष्ठान का भोग लगायें। इसके बाद मां का 108 बार मंत्र जाप करें - ॐ क्रीं कूष्मांडायै क्रीं  ॐ  इसके  बाद मां की प्रार्थना करें। कुम्हड़े की बलि भी दे सकते हैं तथा मां की आरती, कीर्तन आदि करें। 
संपूर्ण मनोकामना पूर्ति का उपाय
सम्पूर्ण परिश्रम, प्रयास और कठिन मेंहनत के बावजूद बदनामी का सामना करना पड़ रहा हो, समाज में जग हसाई हो रही हो, व्यापार वृद्धि के लिए किए गए सम्पूर्ण प्रयास विफल हो रहे हो, तो आज का दिन उन लोगों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। चार कुम्हड़े (काशीफल या कद्दे), चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर इन सबको उसे पर रख दें। धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प अर्पित करने के बाद पांच माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामूण्डाय विच्चे ॐ कूष्माण्डा देव्यै नम:, एक माला ॐ शं शनैश्चराय नम: की जाप करें। तत्पश्चात इनको अपने ऊपर से 11 बार उसार लें, उसारने के बाद छोटे-छोटे टुकड़े करके किसी तालाब में डाल दें। सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी। 
चर्म रोगों से छुटकारा के लिए अद्भुत प्रयोग
जिन्हें बार-बार, शरीर में फोड़ा-फुंसी होती हो या कोई न कोई चर्म रोग हमेशा रहता हो उन्हें आज के दिन यह उपाय प्रारम्भ करना लाभदाय रहेगा। एक चाँदी की कटोरी ले लें उसमें स्वच्छ जल भर कर 18 पत्ते तुलसी के, 9 पत्ते नीम के और 3 पत्ते बेलपत्र के डाल लें। अपने सामने स्वच्छ आसन पर रख दें। तत्पश्चात घी का दीपक और चंदन का धूप जला कर एक माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामूण्डाय विच्चे ॐ कूष्माण्डा देव्यै नम: और शनि पत्नी नाम स्तुति की एक माला करने से लाभ होगा।
मां कुष्मांडा का भोग बदलेगा आपका भाग्य
इस दिन मालपूआ का नैवेद्य अर्पण किया जाय और फिर वह योग्य ब्राह्मण को दे दिया जाय। इस अपूर्व दानमात्र से ही किसी प्रकार के विघ्र सामने नहीं आ सकते। 
ग्रह पीड़ा निवारण
जिस जातक की जन्म कुंडली में बुध कमजोर हो या बुध की वजह से आपके जीवन में कोई परेशानी आ रही हो तो माँ भगवती कूष्माण्डा का ॐ कूष्माण्डे च विद्महे सर्वशक्त्यै च धीमही। तन्नो देवी प्रचोदयात्। गायत्री का जाप करना बहुत ही शुभ रहेगा।