Submitted by Shanidham on 19 Sep, 2019
शनि अमावस्या के दिन श्री शनिदेव की आराधना करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होंती हैं. 28 सितंबर 2019 को शनिवार के दिन शनि अमावस्या मनाई जानी है, यह पितृकार्येषु अमावस्या के रुप में भी जानी जाती है. कालसर्प योग, ढैय्या तथा साढ़ेसाती सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने का यह दुर्लभ समय होता है जब शनिवार के दिन अमावस्या का समय हो जिस कारण इसे शनि अमावस्या कहा जाता है.
श्री शनिदेव भाग्यविधाता हैं, यदि निश्छल भाव से शनिदेव का नाम लिया जाये तो व्यक्ति के सभी कष्टï दूर हो जाते हैं. श्री शनिदेव तो इस चराचर जगत में कर्मफल दाता हैं जो व्यक्ति के कर्म के आधार पर उसके भाग्य का फैसला करते हैं. इस दिन शनिदेव का पूजन सफलता प्राप्त करने एवं दुष्परिणामों से छुटकारा पाने हेतु बहुत उत्तम होता है. इस दिन शनि देव का पूजन सभी मनोकामनाएं पूरी करता है.
शनि अमावस्या पूजन | Shani Amavasya Puja
शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव का विधिवत पूजन कर सभी लोग पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं. शनि देव क्रूर नहीं अपितु कल्याणकारी हैं. इस दिन विशेष अनुष्ठान द्वारा पितृदोष और कालसर्प दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है. इसके अलावा शनि का पूजन और तैलाभिषेक कर शनि की साढेसाती, ढैय्या और महादशा जनित संकट और आपदाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है, पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और दर्शन करना चाहिए. शनिदेव का पर नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत अर्पण करें. शनिदेव को प्रसन्न करने हेतु शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नम:”, अथवा “ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम:” मंत्र का जाप करना चाहिए. इस दिन सरसों के तेल, उडद, काले तिल, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री को शनिदेव पर अर्पित करना चाहिए और शनि देव का तैलाभिषेक करना चाहिए. शनि अमावस्या के दिन शनि चालीसा, हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ अवश्य करना चाहिए. जिनकी कुंडली या राशि पर शनि की साढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव हो उन्हें शनि अमावस्या के दिन पर शनिदेव का विधिवत पूजन करना चाहिए.
शनि अमावस्या महत्व | Significance of Shani Amavasya
शनि अमावस्या ज्योतिष के अनुसार साढ़ेसाती एवं ढ़ैय्या के दौरान शनि व्यक्ति को अपना शुभाशुभ फल प्रदान करता है. शनि अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन शनि देव को प्रसन्न करके व्यक्ति शनि के कोप से अपना बचाव कर सकते हैं. पुराणों के अनुसार शनि अमावस्या के दिन शनि देव को प्रसन्न करना बहुत आसान होता है. शनि अमावस्या के दिन शनि दोष की शांति बहुत ही सरलता कर सकते हैं.
इस दिन महाराज दशरथ द्वारा लिखा गया शनि स्तोत्र का पाठ करके शनि की कोई भी वस्तु जैसे काला तिल, लोहे की वस्तु, काला चना, कंबल, नीला फूल दान करने से शनि साल भर कष्टों से बचाए रखते हैं. जो लोग इस दिन यात्रा में जा रहे हैं और उनके पास समय की कमी है वह सफर में शनि नवाक्षरी मंत्र अथवा “कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यम:। सौरी: शनिश्चरो मंद:पिप्पलादेन संस्तुत:।।” मंत्र का जप करने का प्रयास करते हैं करें तो शनि देव की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है.