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समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए ये उपाय करें अमावस्या की रात

Submitted by Shanidham

अमावस्या की रात्रि में 8 बादाम और 8 काजल की डिबिया काले कपड़े में बांध कर सन्दूक में रखें। 
शनि अमावस्या के दिन शनि चालीसा, हनुमान चालीसा ( Hanuman Chalisa)या बजरंग बाण का पाठ अवश्य करना चाहिए। जिनकी कुंडली या राशि पर शनि की साढ़ेसाती (Shani ki Sade Sati) व ढैय्या का प्रभाव हो उन्हें शनि अमावस्या के दिन पर शनिदेव का विधिवत पूजन अवश्य ही करना चाहिए। 
शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन पितरों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृदोष या जो भी कोई पितृ दोष की पीड़ा को भोग रहे होते हैं। उन्हें इस दिन दान इत्यादि विशेष कर्म करने चाहिए। यदि पितरों का प्रकोप न हो तो भी इस दिन किया गया श्राद्ध मनुष्य को हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है, क्योंकि शनिदेव की अनुकंपा से पितरों का उद्धार बड़ी सहजता से हो जाता है। 
इस दिन दान का बहुत ही महत्व है। इस दिन महाराज दशरथ द्वारा लिखा गया शनि स्तोत्र का पाठ करके शनि की कोई भी वस्तु जैसे काला तिल, काला कपड़ा, चमड़े के जूते, लोहे की वस्तु, काला चना, काला कंबल, नीला फूल दान करने से उस व्यक्ति को श्रीशनिदेव साल भर कष्टों से बचाए रखते हैं।
जो लोग इस दिन यात्रा में जा रहे हैं और उनके पास समय की कमी है वे सफर में शनि नवाक्षरी मंत्र अथवा कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यम:। सौरी: शनिश्चरो मंद:पिप्पलादेन संस्तुत:।। मंत्र का जप करने का प्रयास करें। ऐसा करने से शनि देव की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।
शनिवार की अमावस्या पर पडऩे वाले इस श्रेष्ठ संयोग में किये गए उपायों से ना केवल शनि देव की (Shanidev) ही कृपा प्राप्त होगी वरन शनि अथवा कुंडली के किसी भी ग्रह के अशुभ प्रभावों में निश्चय ही कमी आएगी ।
 वैसे तो सभी लोगों को शनि अमावस्या (Shani Amavasya) को उपाय करने चाहिए लेकिन जो लोग शनि की साढ़ेसाती (Shani ki Sade Sati) और ढैय्या से पीडि़त हैं उन्हें तो शनि अमावस्या पर विशेष उपाय अवश्य ही करने चाहिए।
शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन प्रात: जल में चीनी एवं काला तिल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करके सात परिक्रमा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
 शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे अनुकूल मंत्र है -
ॐ शं शनैश्चराय नम: 
इस मंत्र की एक माला का जाप अवश्य करें 
इस दिन आप श्री शनि देव के दर्शन जरूर करें।
शनिदेव की दशा में अनुकूल फल प्राप्ति कराने वाला मंत्र - 
ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम:
शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन संध्या के समय पीपल के पेड़ पर सप्तधान्य यानी सात प्रकार का अनाज चढ़ाएं और सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं, इससे कुंडली के ग्रहों के अशुभ फलों में कमी आती है। जीवन से अस्थिरताएं दूर होती हैं ।
 शनि अमावस्या के दिन बरगद के पेड़ की जड़ में गाय का कच्चा दूध चढ़ाकर उस मिट्टी से तिलक करें। अवश्य धन प्राप्ति होगी।
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उड़द की दाल की काला नमक डाल कर खिचड़ी बनाकर संध्या के समय शनि मंदिर (Shani Mandir) में जाकर भगवान शनिदेव का भोग लगाएं फिर इसे प्रसाद के रूप में बांट दें और स्वयं भी प्रसाद के रूप में ग्रहण करें ।
 शनिवार के दिन काले उड़द की दाल की खिचड़ी काला नमक डाल कर खाएं इससे भी शनि दोष (Shani Dosh)के कारण होने वाले कष्टों में कमी आती है।
 इस दिन मनुष्य को सरसों का तेल, उड़द, काला तिल, देसी चना, कुलथी, गुड़ शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री अपने ऊपर वार कर शनिदेव के चरणों में चढ़ाकर शनिदेव का तैलाभिषेक करना चाहिए।

शनि अमावस्या के दिन संपूर्ण श्रद्धा भाव से पवित्र करके घोड़े की नाल या नाव की पेंदी की कील का छल्ला मध्यमा उंगली में धारण करें।
शनि अमावस्या के दिन 108 बेलपत्र की माला शिवलिंग पर चढ़ाएं। साथ ही अपने गले में गौरी शंकर रुद्राक्ष 7 दानें लाल धागे में धारण करें।
जिनके ऊपर शनि की दशा हो ऐसे जातक को मांस, मदिरा, बीड़ी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करें ।