Welcome to Shree Shanidham Trust

4 मई 2019 शनि अमावस्या महोत्सव पर करें शनिदेव का तैलाभिषेक

Submitted by Shanidham

आगामी 4 मई को देवाधिदेव शनिदेव की आराधना का पावन शनि अमावस्या महोत्सव  श्री शनिधाम, असोला, फह्तेपुर बेरी, छत्तरपुर, नई दिल्ली में मनाया जायेगा। अमावस्या श्री शनिदेव की ही नहीं, पितरों की भी प्रिय तिथि है। इस दिन श्री शनिदेव की आराधना करने से व्यक्ति की मनोकानाएं पूर्ण होती हैं तथा उसकी ग्रह जनित सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इस दिन शनिपूजा व महातैलाभिषेक करने का अद्भुत अवसर है जो व्यक्ति के जीवन को क्षणमात्र में बदल सकता है। लेकिन फिर मैं कहना चाहूंगा जो व्यक्ति मन कर्म वचन से पवित्र रहते हुए मां-बाप की सेवा करने के साथ ही अपने आश्रितों व जीवन साथी के साथ उचित बर्ताव किया करता है साथ ही देश के प्रति वफादार रहता है श्री शनिदेव उसी का पूरा कल्याण किया करते हैं। अन्यथा सब पूजा-पाठ व तैलाभिषेक अनुष्ठïन बेकार चला जाता है। इसलिए इस पावन अवसर पर पूरी श्रद्घा के साथ सच्चे मन से श्री शनिधम आयें और अपने जीवन को धन्य बनाने के लिए शनि अमावस्या के अनुष्ठानों में भाग लें। और अपने जीवन को सफल बनायें।
जब शनिवार के दिन अमावस्या (Amavasya) आती है, तब उसे शनि अमावस्या ( Shani Amavasya) कहा जाता है। शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के दिन श्री शनिदेव की आराधना करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह पितृकार्येषु अमावस्या के रुप में भी जानी जाती है। कालसर्प योग, ढैय्या तथा साढ़ेसाती सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने का यह दुर्लभ समय होता है । इस वर्ष 4 मई 2019 को शनि अमावस्या है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन शनि देव की कृपा प्राप्त करके सभी मनोरथों को सिद्ध किया जा सकता है।
 श्री शनिदेव भाग्यविधाता हैं, यदि निश्छल भाव से शनिदेव का नाम लिया जाये तो व्यक्ति के सभी कष्टï दूर हो जाते हैं। श्री शनिदेव Shanidev इस जगत में कर्मफल दाता हैं जो व्यक्ति के कर्म के आधार पर उसके भाग्य का फैसला करते हैं। यह दिन शनिदेव का पूजन कर सफलता प्राप्त करने एवं दुष्परिणामों से छुटकारा पाने के लिए बहुत उत्तम होता है। इस दिन शनि देव का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ग्रहों के मुख्य नियंत्रक हैं शनि। उन्हें ग्रहों के न्यायाधीश मंडल का प्रधान न्यायाधीश कहा जाता है। शनिदेव के निर्णय के अनुसार ही सभी ग्रह मनुष्य को शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं। न्यायाधीश होने के नाते शनिदेव किसी को भी अपनी झोली से कुछ नहीं देते। वह तो मनुष्य के शुभाशुभ कर्मो के आधार पर उसको समय-समय पर वैसा ही फल देते हैं जैसा उन्होंने कर्म किया होता है।
धन-वैभव, मान-समान और ज्ञान आदि की प्राप्ति देवों और ऋषियों की अनुकंपा से होती है जबकि आरोग्य लाभ, पुष्टि और वंश वृद्धि के लिए पितरों का अनुग्रह जरूरी है। शनि एक न्यायप्रिय ग्रह हैं। शनिदेव अपने भक्तों को भय से मुक्ति दिलाते हैं। शनि अमावस्या (Shani Amavasya)पर शनिदेव का विधिवत पूजन कर सभी लोग पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं। शनि देव क्रूर नहीं अपितु कल्याणकारी होते हैं। इस दिन विशेष अनुष्ठान द्वारा पितृदोष और कालसर्प दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है। इसके अलावा शनि का पूजन और तैलाभिषेक कर शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा जनित संकट और आपदाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है।
भविष्यपुराण के अनुसार शनि अमावस्या शनिदेव को अधिक प्रिय होती है।  इस दिन पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और दर्शन करना चाहिए। शनिदेव पर नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत अर्पण करके शनिदेव को प्रसन्न करने हेतु शनि मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नम: अथवा ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन सरसों के तेल, उड़द, काले तिल, कुलथी, गुड़, इत्र, नीले फूल, इमरती, शनियंत्र, काले या नीले वस्त्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री को शनिदेव पर अर्पित करना चाहिए और शनि देव का तैलाभिषेक करना चाहिए।
वर्तमान समय में शनि संबंधी वस्तुओं की प्रधानता है। आज की परिस्थितियों में अधिकांश व्यक्ति शनि के  कठोर अनुशासन में रखे जाने की स्थिति में हैं। शनिदेव कर्मफल के दाता और मोक्ष के कारक हैं। उनके अधिकार क्षेत्र में बियावान निर्जन स्थान से व घनी आबादी वाले स्थान सभी आते हैं। सागर की अतुल गहराइयों से अंतरिक्ष के रहस्य भी उन्हीं के सीधे नियंत्रण में हैं। लोकतंत्र व स्वतंत्रता के शनिदेव मूल संवाहक हैं। स्वतंत्र विचरण उनका मूल स्वभाव है और जनसाधारण की सेवा उन्हें अति प्रसन्न कर देती है। यही वजह है कि मै अपने आपको शनिचरणानुरागी कहने में गौरव महसूस करता हूं और चाहता हूं कि अधिकाधिक लोग शनिदेव की महिमा को समझें और उन्हें प्रसन्न कर अपना और पूरे समाज का भला करने में अपनी सक्रिय भूमिका का अंशदान दें।
परमपिता परमात्मा ही जीवों के निजकृत कर्मों का फल भुगतान कराने के लिए नौ ग्रह स्वरूपों में व्यक्त होकर उनके कर्मों का यथावत भुगतान करवाते रहते हैं। श्री शनिदेव के रूप में वही हर प्राणी को सर्वाधिक समय तक कर्मफल भोग करवाते हैं। यही वजह है कि ज्योतिषी लोग जब भी किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली का ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं तो श्री शनिदेव की स्थिति पर विशेष गौर करते हैं। किंतु इसका यह अर्थ कदापि नहीं निकाल लेना चाहिए कि श्री शनिदेव कू्रर ग्रह हैं और वह अपनी ढैय्या, साढ़ेसाती या दशाओं में अपनी तरफ से किसी व्यक्ति को कष्टï प्रदान करते हैं। बल्कि वह तो अपनी स्थिति, युति, दृष्टिï आदि के माध्यम से मात्र संकेत देते हैं कि उस अवधि विशेष में संबंधित व्यक्ति को थोड़ा भी किस प्रकार के निजकृत कर्मों का फल भोगना पड़ेगा।