Submitted by Shanidham on 26 Apr, 2020
अक्षय तृतीया का पावन पर्व 26 अप्रैल को मनाया जा रहा है। कोरोना वायरस के कारण लाकडाउन के कारण देशभर में लोग घरों में रहने के लिए मजबूर हैं। इस कारण देशभर में मंदिर भी प्रवेश प्रतिबंधित है। ऐसे में सभी को घर में रहकर ही विष्णु भगवान की अराधना करनी चाहिए। वैसी भी कहा जाता है कि भगवान तो भाव के भूखें
महामारी के कारण घर पर ही पानी में गंगाजल में मिलाकर नहाएं और दान करें
बृहस्पति संहिता ग्रंथ में लिखा है कि महामारी के दौरान नहीं करने चाहिए मांगलिक काम
अक्षय तृतीया आज है। इस बार अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम का जन्मोत्सव या पूजा के लिए मुहूर्त दोपहर 1 बजे तक ही रहेगा। तृतीया तिथि रविवार को दोपहर करीब 1.25 तक रहेगी। इसके बाद चतुर्थी तिथि शुरू हो जाएगी। इसलिए, आज दोपहर 1.25 से पहले ही दान और पूजा करने का विशेष महत्व है। ये समय देश में हर जगह के पंचांग के अनुसार अलग-अलग हो सकता है।
वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की तीसरी तिथि को अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाता है। इस बार ये 26 अप्रैल यानी रविवार को पड़ रही है। ज्योतिष के अनुसार इस दिन कोई भी शुभ काम बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है। इसलिए अक्षय तृतीया पर शादियां, खरीदारी और नए कामों की शुरुआत की जाती है। इस दिन किए गए दान और पूजा का अक्षय फल मिलता है, लेकिन इस साल महामारी के कारण सामूहिक कार्यक्रम और तीर्थ स्नान नहीं करना चाहिए।
तीर्थ स्नान और दान का महत्व
अक्षय तृतीया पर्व पर पवित्र नदियों में स्नान करने और श्रद्धा अनुसार दान का महत्व है। लेकिन महामारी के कारण इस बार घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंद डालकर नहा लेना चाहिए। ग्रंथों के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं। फिर भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा करनी चाहिए। फिर उन्हें कमल और गुलाब के फूल चढ़ाने चाहिए। इस दिन किसी मंदिर में जल दान और मौसम के अनुसार फल दान करने का भी विशेष महत्व है।
पूजा विधि
किसी चौकी या कपड़े पर चावल रखकर उस पर भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की मूर्ति रखें। तस्वीर भी रख सकते हैं।
भगवान को जल चढ़ाएं इसके बाद चंदन, अक्षत, फूल, रोली और मोली चढ़ाएं। फिर अबीर, गुलाल, कुमकुम और अन्य पूजा की सामग्री चढ़ानी चाहिए। इसके बाद भगवान को दीपक दर्शन करवाकर अगरबत्ती लगाएं।
पूजा सामग्री चढ़ाने के बाद भगवान को मिठाई या फल का नैवेद्य लगाएं और प्रसाद बांट दें।
बृहस्पति संहिता: महामारी के कारण टाल दें शुभ काम
इस साल अक्षय तृतीया पर महामारी के कारण मांगलिक आयोजन और सामूहिक कार्यक्रमों से बचते हुए घर में ही पूजा-पाठ करनी चाहिए। इसके साथ ही विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों को अगले शुभ मुहूर्त तक टाल देना चाहिए।
इस पर्व पर श्रद्धा अनुसार दान का संकल्प लेकर दान दी जाने वाली सामग्रियों को निकालकर अलग रख लें और स्थिति सामान्य हो जाने पर उन चीजों को दान कर देना चाहिए। बृहस्पति संहिता ग्रंथ में ये उल्लेख है कि महामारी, प्राकृतिक आपदाओं और आपातकाल के दौरान मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए या आने वाले शुभ मुहूर्त पर टाल देना चाहिए।
3 अबूझ मुहूर्त में एक
वैदिक ज्योतिषीयों के अनुसार सालभर में 3 दिन ऐसे होते हैं जिन्हें अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। यानी इन दिनों में बिना पंचांग या मुहूर्त देखे कोई भी शुभ काम किया जा सकता है। जो कि उगादी पर्व, अक्षय तृतीया और विजया दशमी है। इन 3 दिनों को अबूझ मुहूर्त कहा गया है। इन दिनों में बिना किसी पंचांग और मुहूर्त देखे कोई भी शुभ काम किया जा सकता है। वैसे तो हर महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया शुभ होती है, लेकिन वैशाख माह की ये तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्त में एक मानी गई है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा अपनी-अपनी उच्च राशि में होते हैं। इनके साथ ही जया तिथि का भी संयोग बनता है। इसलिए इस संयोग को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है।
Akshaya Tritiya 2020: इस मुहूर्त में करें विष्णु भगवान की पूजा, ये हैं भगवान विष्णु के मंत्र
26 अप्रैल दिन रविवार को अक्षय-तृतीया मनाई जाएगी। इस बार अक्षय तृतीया पर सर्वोत्तम योग बन रहे हैं, जो इस दिन के महत्व को और भी बढा देते हैं। इस बार अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र और शोभन योग बन रहे हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी मानी गई है। इस दिन उत्तम मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें पंचामृत अर्पण करें। इस बार पूजा का मुहूर्त 06 बजकर 36 मिनट से दिन में 10 बजकर 42 मिनट है। इश दिन विष्णु भगवान की पूजा के साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी फलदायी मानी गई है। कहा जाता है कि इस दिन पूजा करने वाला इस लोक के सुख भोगकर बैंकुठ को जाता है। इसके अलावा इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप भी बहुत फलदायी माना गया है। यहां पढ़ें भगवान विष्णु के मंत्र:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
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श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
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ॐ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
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ॐ विष्णवे नम:
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ॐ हूं विष्णवे नम:
अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की शंख से करें पूजा
अक्षय तृतीया पर इस बार बहुत शुभ योग बन रहे हैं। इस साल 25 अप्रैल दोपहर करीब बारह बजे से तृतीया तिथि आरंभ होगी जो अगले दिन दोपहर करीब 1.20 मिनट तक रहेगी। इस बार अक्षय तृतीया पर उदय व्यापिनी और रोहिणी नक्षत्र का संयोग है, जो इसे बहुत ही फलदायी बना रहे हैं। इस बहुत अच्छा मुहूर्त है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि पूर्वक पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन शंख से की गई पूजा से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होते हैं। भगवान परशुराम जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है।
कहते हैं कि इस दिन दान करने से अक्षय फल मिलता है। अक्षय का अर्थ होता है जिसका कभी नाश न हो। इस दिन अबूझ मुहूर्त भी होता है। कहते हैं कि इस दिन बिना मुहूर्त के बहुत से अच्छे कार्य किए जाते हैं। लेकिन फिलहाल देश में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लॉकडाउन है ऐसे में घर में रहकर ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करें। इसके लिए आपको सुबह स्नान करके भगवान विष्णु को कच्चे दूध से स्नान कराएं। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी पर दक्षिणावर्ती शंख में जलभरकर अर्पित करें। इसके अलावा बचे जल को घर में छिड़कें। माता लक्ष्मी को पंच मेवे का भोग लगाएं और विष्णु भगवान को खीर का भोग लगा सकते हैं।