Submitted by Shanidham on 11 Apr, 2019
आज चैत्र नवरात्र का सातवां दिन है। इसे महासप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा की जायेगी। कहते हैं इनके स्मरण मात्र से ही भूत-पिशाच, भय और अन्य सभी तरह की परेशानी दूर हो जाती हैं। अतः आज के दिन मां कालरात्रि की पूजा बड़ी ही फलदायी है। दुर्गा का सातवां रूप है मां कालरात्रि। 7वें नवरात्रि में मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए मां कालरात्रि के रूप को उत्पन्न किया। मां के इस रूप की पूजा करने से बुरे समय का नाश होता है. और इनकी कृपा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
मां कालरात्रि पूजा विधि
मां कालरात्रि की पूजा सुबह चार से 6 बजे तक करनी चाहिए। मां की पूजा के लिए लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मकर और कुंभ राशि के जातकों को कालरात्रि की पूजा जरूर करनी चाहिए। परेशानी में हों तो सात या सौ नींबू की माला देवी को चढ़ाएं। सप्तमी की रात्रि तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योत जलाएं। सिद्धकुंजिका स्तोत्र, अर्गला स्तोत्रम, काली चालीसा, काली पुराण का पाठ करना चाहिए। यथासंभव, इस रात्रि संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
मां कालरात्रि की उत्पत्ति की कथा
कहा जाता है तीनों लोकों में असुरों ने हाहाकार मचा रखा था। इससे लोग बेहद परेशान थे। जिसके लिए सभी देवतागण मां दुर्गा के पास गए। तभी भगवान शिव ने मां दुर्गा से सभी भक्तों की रक्षा करने के लिए कहा। तब मां दुर्गा ने अन्य रूप धारण कर असुर रक्तबीज का वध किया। मां दुर्गा के इसी रूप को मां कालरात्रि कहा गया।
मां कालरात्रि पूजा में इस मंत्र का जाप करें: एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी। वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥ सप्तमी नवरात्रि पर मां को खुश करने के लिए गुड़ या गुड़ से बने व्यंजनों का भोग लगा सकते हैं. ऐसा करने दरिद्रता का नाश होता है. मां को गुड़ का भोग लगाएं।